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ईदगाह कमेटी के खजांची छम्मा ठेकेदार और उसके सहयोगियों ने बेंच डाली वक्फ सम्पत्ति,महिला की तहरीर पर मुकदमा दर्ज

हरिद्वार।वक्फ बोर्ड चैयरमेन शादाब शम्स द्वारा वक्फ संपत्तियों को ठिकाने लगाने वाले लोगों के खिलाफ तमाम चेतावनियों के बावजूद वक्फ सम्पत्ति की खरीद फरोख्त पर अंकुश लगता नजर नहीं आ रहा है।अब ज्वालापुर कोतवाली अंतर्गत ईदगाह कमेटी के खजांची शमीम उर्फ छम्मा ठेकेदार और शाहिद हुसैन सहित अन्य पर मस्जिद के स्वामित्व वाली वक्फ संपत्ति बेचने के आरोप में एक महिला ने कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है। मोहल्ला लोधा मंडी निवासी फातिमा ने ज्वालापुर कोतवाली में तहरीर देते हुए बताया कि वह और उसके स्वर्गीय पति मूल रूप से कस्बा कैराना जिला शामली उत्तर प्रदेश की रहने वाली है जो अपने स्वगीय पति की हरिद्वार मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में नौकरी लगने के बाद से हरिद्वार आकर अपने पति के साथ शाहिद हुसैन पुत्र नसीर अहमद निवासी लोधामण्डी ज्वालापुर हरिद्वार के घर पर किराये पर आकर रहने लगे थे। उसी दौरान प्रार्थीनी के पति अपना मकान खरीदने की कोशिश में लगे थे जिनका जिक्र उन्होंने शाहिद से किया तो शाहिद हुसैन ने अपने चाचा उपरोक्त मौहम्मद शमीम से मिलवाया तथा उक्त दोनों ने आपस में साज कर पूर्व से तैयार कुटरचित दस्तावेज प्रार्थिनी के पति को दिखाए और दिए तब प्रार्थिनी के पति इनकी बातों में आ गए। तब उक्त प्लाट का बैनामा शमीम ने दिनांक 30-07-2005 को हरिद्वार तहसील स्थित सब रजिस्ट्रार कार्यालय में प्रार्थिनी के पति इन्तजार अहमद के पक्ष में मुबलिंग 2,40,000/- दो लाख चालीस हजार रुपये में कर दिया उसी दौरान शाहिद व उसके चाचा शमीम के उक्त प्लाट को अपनी निजी सम्पत्ति बताया था। जिस पर विश्वास करते हुए प्रार्थिनी के पति ने इन लोगों से उक्त प्लाट क्रय कर दिया। दिनांक 07.02.2022 की घटना है कि प्रार्थिनी के स्वर्गीय पति के नाम वक्फ बोर्ड देहरादून से एक नोटिस आया तो प्रार्थिनी व उसके स्वर्गीय पति को इस बात की जानकारी हुई। तब मेरे पति ने शमीम द्वारा दिए गए वक्फ सीईओ के पत्र संख्या 69 की जानकारी की तो पता चला कि वक्फ बोर्ड द्वारा ऐसा कोई पत्र शमीम के नाम जारी नही किया गया है। इस प्रकार शमीम और शाहिद द्वारा कूटरचित रुप से वक्फ बोर्ड के सीईओ के नाम से कूट रचित पत्र तैयार कर वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति का बैनामा मेरे पति को किया गया। बाद में ज्ञात हुआ कि बेची गई संपत्ति दरअसल उनकी सम्पत्ति नहीं थी अपितु वह उत्तराखंड वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति संख्या 619 लोधामंडी, ज्वालापुर हरिद्वार की सम्पत्ति थी। यह संपत्ति दिनाक 20-09-1963 बंदू पुत्र मसीता द्वारा मस्जिद केद्वारा दान की गई थी, दान दंग्रहिता जमील ने विधि विरुद्ध तरीके से उक्त संपत्ति को दिनाक 28-09-1968 इकराम को बेच दिया और इकराम द्वारा यह संपत्ति शमीम अहमद पुत्र बशीर को विक्रय दिनाक 09-01-1984 कर दी गई, इस प्रकार इन लोगों ने सुनियोजित रूप से वक्फ संपत्ति को ठिकाने लगाने का सिलसिला जारी रखा। जानकारी मिलने पर प्रार्थिनी के पति को मानसिक आघात लगा और इस कारण प्रार्थिनी के पति की हार्टअटैक से दिनांक 10.02. 2022 को मृत्यु हो गई।आरोप है कि उक्त शाहिद हुसैन व मौहम्मद शमीम व इनके साथियों ने आपस में साज करके जबकि उक्त दोनों शाहिद व शमीम प्रारम्भ से ही जानते थे कि उक्त प्लाट मस्जिद आदि के लिये दान/ हिबा किया गया है और वक्फ सम्पत्ति है फिर भी उक्त दोनों ने उक्त प्लाट को प्रार्थिनी के स्वर्गीय पति इन्तजार अहमद उपरोक्त शाहिद हुसैन के यहां किराये पर रहते थे तथा उन पर विश्वास करते थे, झूठे विश्वास में लिया और उक्त प्लाट को क्रय करने के लिये वक्फ बोर्ड द्वारा जारी पत्र दिखाकर विक्रय/बैनामा किया। प्रार्थिनी अपने पति की मृत्यु के पश्चात इद्दत अवधि में ही प्राथ्रिनी को अंधरग/पैरालाइसिस हो गया जिस कारण वह उस समय कोई कार्यवाही या शिकायत नहीं कर सकी। फिर अब शमीम व शाहीद हुसैन तथा शमीम का लड़का मुझे मिले तो मैंने उनसे कहा कि तुम हमको वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति के अपने नाम से कागज तैयार कर अपनी बताते हुए हमें क्यों बेची और इस सदमे में मेरे पति की मौत हो गई तो उक्त तीनों लोगों ने प्रार्थिया को गाली गलौच करते हुए धमकाया कि तु चुप रह वरना तेरा हाल भी तेरे पति जैसा होगा और तेरे से यह सम्पत्ति भी छीन लेंगे।

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