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Exclusive: टिकट बटवारें के कारण ज्वालापुर मे कांग्रेस के बिगड़े समीकरण! 

मेयर सीट निकालना भी होगा टेड़ी खीर साबित, पार्टी से कई नाराज नेता निर्दलीय मैदान मे उतरे...

हमज़ा राव।

हरिद्वार। इस बार चुनाव मे मेयर की सीट निकालना कांग्रेस के लिए टेड़ी खीर साबित होगा। कई कद्दावर नेताओं के बागी होने से कांग्रेस की राह मुश्किल हो गई है। कांग्रेस को उनके गढ़ कहे जाने वाले ज्वालापुर से ही हार का सामना करना पड़ सकता है। क्यूंकि पार्टी मे पार्षद टिकट को लेकर हुए बंटवारे से नेताओं मे ही नही जनता मे भी नाराजगी है। कांग्रेस ने कई वार्डों से ऐसे प्रत्याशियों को मैदान मे उतारा है जिनका कोई जनाधार नही। बल्कि कुछ ऐसे भी है जिन्हें वार्ड की जनता न तो जानती है न ही उन्होंने वार्ड मे कुछ कार्य कराया। पिछले चुनाव मे भलेही कांग्रेस को ज्वालापुर से बढ़त मिली हो परन्तु इस बार टिकट बंटवारों के कारण समीकरण बदल चुके है। पार्टी को हरिद्वार ही नही ज्वालापुर से भी बड़ी हार का स्वाद चखना पड़ सकता है। कट्टर कोंग्रेसी माने जाने वाले वरिष्ठ नेताओं ने भी विरोध शुरू कर दिया है और निर्दलीय पर्चा भर कांग्रेस पार्टी के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की।

पिछले निकाय चुनाव मे कांग्रेस को ज्वालापुर से भारी बढ़त मिली थी और कई प्रत्याशियों ने वार्ड से जीत भी दर्ज कराई थी। परन्तु इस बार उन कोंग्रेसीयों को कांग्रेस से ने टिकट नही दिया। जिनमे वार्ड 41 कस्साबान से कांग्रेस के मज़बूत और कर्मठ नेता इसरार सलमानी व वार्ड 43 पांवधोई से रियाज अंसारी शामिल है। यह दोनों पिछले चुनाव मे भारी मतों से जीते थे। इनका टिकट कटने से पार्टी व मेयर प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे ही वार्ड 44 त्रिमूर्ति नगर से अहसान अंसारी एक मज़बूत दावेदार थे और पिछले कई सालो से पार्टी की नीति के अनुसार कार्य कर रहे थे किन्तु उनको भी टिकट नही दिया गया जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय पर्चा दाखिल कर चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। वार्ड 45 तपोवन नगर से जितेंद्र उर्फ़ जीतू चौधरी कांग्रेस के पुराने और कर्मठ नेताओं मे शामिल है उनको भी पार्टी ने दरकिनार कर किसी अन्य को प्रत्याशी बनाया है। जिसके बाद उन्होंने भी बगावत कर आम आदमी पार्टी से नामांकन कर दिया है। इसी के साथ पूर्व राज्य मंत्री व दशकों से कांग्रेस से जुड़े नईम कुरैशी की पुत्र वधु को टिकट न मिलने से वह भी बगावत पर उतर आए है और इस चुनाव मे कांग्रेस के खिलाफ नारेबाजी कर अपनी पुत्रवधु का निर्दलीय के रूप मे नामांकन कराया है। जिसके बाद इस निकाय चुनाव मे कांग्रेस के लिए जीत हासिल करना टेड़ी खीर साबित होगा। मेयर सहित अन्य कई प्रत्याशियों को हार का सामना भी करना पड़ सकता है। पिछले चुनाव की आपेक्षा में इस बार ज्वालापुर से कांग्रेस को हार का मुँह देखना पड़ सकता है।

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