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शत्रु संपत्ति में सात साल बाद विजिलेंस ने भूमाफियाओं पर दर्ज कराया मुकदमा, एक PCS सहित 28 नामजद

हरिद्वार। ज्वालापुर में शत्रु संपत्ति घोषित होने के बाद से ही संपत्ति को खुर्द-बुर्द करने का खेल मिलीभगत से शुरू हो गया था। संपत्ति को खुर्द करने वालों की जड़े बड़ी दूर तक फैली हुई हैं। पाकिस्तान से किसी नागरिक के यहां आए बिना ही उनके नाम से पावर ऑफ अटर्नी भी तैयार कर दी गई। इस पूरे खेल को लेकर 2016 में सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज होने के बाद विजिलेंस जांच शुरू हुई। जांच ठंडे बस्ते में डाले जाने को लेकर मामला सूचना आयोग तक पहुंचा। तब विजिलेंस ने तत्कालीन एसडीएम सहित 28 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
जानकारी के अनुसार, ज्वालापुर में ईदगाह के पास करीब कुल 27 बीघा जमीन उमर और हबीब की थी। उमर के पुत्र फैय्याज व हय्यात थे। हबीब के तीन बेटे निसार, अफजाल और इकबाल थे। निसार के दोनों भाई अफजाल और इकबाल आजादी के बाद विभाजित हिन्दुस्तान अब (पाकिस्तान) चले गए थे। वर्ष 1998 में कुछ भू-माफियाओं ने खेल किया। अफजाल, इकबाल की तरफ से उसे पॉवर ऑफ ऑटर्नी करने का दावा किया। 1998 में शौकत उर्फ चीचू के नाम से पावर ऑफ अटॉर्नी बन गई। जिससे 2004 में भूमि बेचने की कोशिश की। तब शिकायत के बाद शत्रु संपत्ति घोषित कर बोर्ड लगा दिया गया। हय्यात अपने भाई फैय्याज के हिस्से की भूमि भी बेच चुका था, लेकिन फैय्याज के नाम पर दस्तावेज में भूमि दर्ज थी।
भू-माफियाओं ने राजस्व विभाग से सांठगांठ कर शत्रु संपत्ति को फैय्याज की भूमि घोषित कराते हुए भूमि को बेचना शुरू किया। कालोनी की सड़क को शत्रु संपत्ति दर्शा दिया। इसके अलावा इक्का दुक्का भूखंड छोड़ दिए। इस तरह 2004 से लेकर 2010 तक भूमि को खुर्द-बुर्द कर दिया गया। वर्ष 2016 में मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर शिकायत की गई। जिस पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने वीडियो क्रांफ्रेसिंग के जरिए सुनवाई कर विजिलेंस जांच के आदेश दिए थे। विजिलेंस ने मामले की जांच शुरू की। लेकिन सात साल में जांच में आखिर क्या हुआ इसको लेकर आरटीआई लगाई, सूचना न देने पर मामला सूचना आयोग पहुंचा। तब आयोग में सुनवाई हुई और विजिलेंस से जवाब तलब हुआ। 22 दिसंबर को विजिलेंस को आयोग में जवाब देना है। लेकिन इससे पहले ही तत्कालीन एसडीएम सहित 28 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया।

केस में कई के नाम निकलने की चर्चा-
शिकायत में उस वक्त के तहसीलदार सहित कई अधिकारियों के नाम थे। लेकिन एक अधिकारी को भी मुकदमे में नामजद नहीं किया गया। जिससे सवाल उठ रहे हैं आखिर किस अफसर को सिस्टम बचा रहा है। चर्चाएं हैं कि कई अफसर मुकदमे में नामजद होने से बचा दिए गए।

विजिलेंस में इन लोगों को किया गया है नामजद

शत्रु संपत्ति को खुर्द-बुर्द करने के मामले में विजिलेंस द्वारा जाँच करते हुए सात साल बाद भूमाफियाओं पर 420, 467, 468 समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया है। जिसमे अनिल कुमार काम्बोज, तत्कालीन हल्का लेखपाल (2) हरबीर सिंह, तत्कालीन उपजिलाधिकारी (3) सुखपाल सिंह तत्कालीन शामकीय अधिवक्ता (4) नीरज तोमर, तत्कालीन लेखपाल (5) विजेन्द्र गिरी, तत्कालीन लेखपाल (6) विजेन्द्र कश्यप तत्कालीन नेम्म्रपान (7) श्रवण कुमार तत्कालीन कानूनगो (8) पाँवधोई निवासी शौकत उर्फ चीचू (9) वाहिदा (10) सलीम (11) जुलेखा (12) कारी मुस्तफा (13) कोमल (14) विनोद मलिक (15) रेशमा (16) प्यारेलाल (17) पांवधोई निवासी सफदर अली (18) संजीदा (19) एडवोकेट पहल सिंह वर्मा (20)एडवोकेट सज्जाद (21) एडवोकेट मोहन लाल शर्मा (22) एडवोकेट यशपाल सिंह चौहान (23) एडवोकेट राजकुमार उपाध्याय (24) रियाज अहमद (25) शरीफ अहमद (26) एम0बी0 शर्मा, तत्कालीन उपनिबन्धक हरिद्वार (27) हरिकृष्ण शुक्ला तत्कालीन उपनिबन्धक (28) मायाराम जोशी तत्कालीन उपनिबन्धक, प्रथम हरिद्वार को नामजद किया गया है।

…तो शत्रु संपत्ति पर बसे लोग हटेंगे
शत्रु संपत्ति खुर्द-बुर्द के मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद अब इस भूमि पर बसे लोगों की भी मुश्किलें बढ़ सकती है। ऐसे में संपत्ति खरीदने वाले लोगों को भी हटाया जा सकता है।

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