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अवहेलना: अनुशासन का पालन कराने का जिम्मा जिनके कंधो पर वही कर रहे तार-तार

विभाग मे वरिष्ठता क़ो प्राथमिता देने के आदेश के बाद ट्रांसफर हुए पुलिस कर्मियों की रवानगी करने के आदेश भी हवा-हवाई...

देहरादून। अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाली मित्र पुलिस ही अनुशासन क़ो तार-तार करती नज़र आ रही है। एक बार फिर मामला मुख्यालय के आदेशों का पालन ना किए जाने क़ो लेकर चर्चा मे है। पूर्व मे निरीक्षक व उप निरीक्षक की नियुक्ति वरिष्ठता व पुलिस नियमावली के अनुसार किए जाने के आदेश जारी होने के बाद अब स्थानांतरण हुए पुलिसकर्मियों को तत्काल रिलीव किए जाने के आदेश भी हवा-हवाई साबित हुए। जिसको लेकर विभाग संदेह के घेरे मे है।

फ़ाइल फोटो।

गौरतलब है कि बीते साल 19 दिसंबर क़ो प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था ए.पी. अंशुमन द्वारा आदेश जारी करते हुए थाना-कोतवाली प्रभारी की नियुक्ति के दौरान निरीक्षक/उपनिरीक्षक क़ो वरिष्ठता तथा पुलिस नियमावली के प्रावधान का पालन करते हुए ही नियुक्ति किए जाने के आदेश जारी किए गए थे। साथ ही “थाना प्रभारी की नियुक्ति के दौरान वरिष्ठता व पुलिस नियमावली के प्रावधानों को दरकिनार कर नियुक्ति की जा रही है, जिस कारण योग्य निरीक्षक और उप निरीक्षकों की योग्यता के साथ-साथ उनके मनोबल पर भी गहरा असर पड़ रहा है” यह बात भी उल्लेख की गई थी। लेकिन यह आदेश ठंडे बस्ते मे सिमट कर रह गए।

इसके बाद 20 फरवरी क़ो अपर पुलिस महानिदेशक/राज्य नोडल अधिकारी निर्वाचन ए.पी. अंशुमन द्वारा आदेश जारी करते हुए कहा गया था कि मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड शासन एवं मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तराखण्ड द्वारा आयोजित गोष्ठी में अवगत कराया गया कि भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों के क्रम में स्थानान्तरण की परिधि में आने वाले कार्मिकों के स्थानान्तरण किये गये है। किन्तु कतिपय जनपदों द्वारा अभी तक उन्हे नवनियुक्ति हेतु कार्यमुक्त नही किया गया है। अपर पुलिस महानिदेशक द्वारा आदेश के तहत निर्देशित किया गया था कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्गत निर्देशों के अनुपालन में अभी तक जिन कार्मिकों का स्थानान्तरण किसी कारणवश अगर नही किया जा सका हो तो उनका स्थानान्तरण तत्काल किया जाए। साथ ही जिन कार्मिकों को नवनियुक्ति के लिए कार्यमुक्त नहीं किया गया है उन्हे कार्यमुक्त करते हुए जानकारी तीन दिवस के अन्दर इस मुख्यालय को उपलब्ध कराए। अगर इसके बावज़ूद भी लापरवाही बरती जाती है तो नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही की जायेगी। लेकिन आदेश के तीन दिवस बीत जाने के बावज़ूद भी पुलिस कर्मियों की रवानगी नहीं की गई है। जो कि विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है।

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