भगवान गणेश की साधना से मनवांछित फल की प्राप्ति : स्वामी आलोक गिरी
श्री बालाजी धाम सिद्धबलि हनुमान नर्मदेश्वर महादेव मंदिर में धूमधाम से गणपति महोत्सव का आयोजन
हरिद्वार। स्वामी आलोक गिरी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म के प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश का पूजन समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है। भगवान गणेश की साधना करने वाले साधकों को रिद्धि- सिद्धि की प्राप्ति होगी थी है। जीवन में आने वाली समस्याओं से छुटकारा मिलता है। उन्होंने कहा कि भगवान गणेश सदैव वंदनीय है और प्रतिदिन उपासना भी करनी चाहिए। लेकिन भाद्रपद मास, शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर चतुर्दशी तक भगवान गणेश की पूजा के विशेष दिन माने गए हैं। मान्यता है कि इन्हीं 10 दिनों में महर्षि व्यास के निवेदन पर भगवान गणेश ने महाभारत की रचना की थी। ऐसे में इन दिनों गणेश की पूजा का महत्व बढ़ जाता है।
बताते चलें कि श्री बालाजी धाम सिद्धबलि हनुमान नर्मदेश्वर महादेव मंदिर, निकट फुटबॉल ग्राउंड, जगजीतपुर में धूमधाम से गणपति महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।इस कड़ी में गणपति महोत्सव के दूसरे दिन मुख्य यजमान हरीश चौधरी और एडवोकेट मितुल गर्ग में शामिल हुए। पूजन कार्य बाबा मनकामेश्वर गिरी महाराज के सानिध्य में पं सोहन चंद्र डोंढरियाल ने संपन्न कराया। इस मौके पर मनकामेश्वर गिरी महाराज ने कहा कि वेदव्यास ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश की पूजा अर्चना कर महाभारत लेखन का कार्य शुरू कराया। जो निरंतर 10 दिन चतुर्दशी तक चला। इस महाभारत की रचना करते हुए भगवान गणेश ने दिन-रात लेखन कार्य प्रारम्भ किया । इस कारण उनको थकान होने लगी। लेकिन उन्हें पानी पीना भी वर्जित था। ऐसे में गणपति के शरीर के तापमान को स्थिरता प्रदान करने के लिए वेदव्यास ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप किया । मिट्टी का लेप सूखने पर गणेश जी के शरीर में अकड़न आ गई। महाभारत का लेखन कार्य 10 दिनों तक चला। अनंत चतुर्दशी को लेखन कार्य संपन्न हुआ।
वेदव्यास ने देखा कि, गणपति का शारीरिक तापमान बहुत बढ़ा हुआ है और उनके शरीर पर लेप की गई मिट्टी सूखकर झड़ रही है। इसके उपरांत वेदव्यास ने उन्हें पानी में डाल दिया। इनदस दिनों में वेदव्यास ने गणेश जी को खाने के लिए विभिन्न पदार्थ दिए। तभी से गणपती बैठाने की प्रथा चल पड़ी। इन दस दिनों में इसीलिए गणेश जी को पसंद विभिन्न भोजन अर्पित किए जाते हैं।