दीपोत्सव के नाम पर नगर निगम का खेला, दीयो मे जल गया पचास लाख का तेल
हरिद्वार। भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश को लेकर भले ही धामी सरकार बड़े बड़े दावे कर रही हो मगर सरकार इन दावों की पोल आए दिन किसी न किसी विभाग में हो रहे घोटाले खोलते नजर आ रहे हैं। घोटालों को लेकर ऐसा ही एक बड़ा मामला जनपद हरिद्वार से तब सामने आया जब एक व्यक्ति द्वारा सूचना का अधिकार का प्रयोग करते हुए हरिद्वार में बीते दिनों मनाए गए दीपोत्सव की जानकारी मांग ली। विभाग द्वारा जानकारी दी गई तो कई बड़े सच सामने आए साथ ही बिल में की गई कैलकुलेशन ने भी बड़ा भांडा फोड़ डाला।
उत्तराखंड राज्य कर्ज में डूबता जा रहा है। राज्य पर वर्तमान में 80 हजार करोड़ रूपए का कर्ज है। लेकिन जिला प्रशासन और नगर निगम को इस बात से कोई फर्क नही पड़ता। जिला प्रशासन ने राज्य स्थापना दिवस मनाने के लिए ही 70 लाख से अधिक रूपए खर्चा कर दिए। यह खर्च 50 से अधिक घाटों पर जलाए गए दीयों पर हुआ। जिला प्रशासन ने 2.5 लाख दीय और तिलो के तेल सहित अन्य सामग्री खरीदी। खरीदी गई सामग्री के रेट को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे है क्योंकि रेट की कीमत सरकारी कीमत से कई ज़्यादा। मामले का खुलासा तब हुआ ज़ब एक आरटीआई कार्यकर्ता ने सूचना में जानकारी मांगी।गौरतलब है कि उत्तराखंड को विरासत में 4,500 करोड़ का भारी भरकम कर्ज मिला था। जो कि अब बढ़ कर 80 करोड़ के लगभग हो चुका है। लेकिन जिला प्रशासन और नगर निगम को इस कर्ज के मर्ज से कोई खासा फर्क नही पड़ता है। क्यूंकि जिला प्रशासन और नगर निगम एक कार्यक्रम पर 70 लाख रूपए खर्च करने में भी नही हिचकिचाता। 11 नवंबर को जिला प्रशासन, नगर निगम व हरिद्वार-रूड़की विकास प्राधिकरण ने बड़े उत्साह के साथ भव्य रूप से राज्य स्थापना दिवस मनाया था। जिसमे दीपोत्सव कार्यक्रम व ड्रोन शो सहित कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम की शोभा को बढ़ाने के लिए प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया था। कार्यक्रम में मिट्टी के दीयों पर ही 6 रूपए प्रति दीय के हिसाब से 15 लाख रूपए खर्च कर डाले। इसके साथ ही 20 हजार लीटर तिल के तेल पर 50 लाख, 2.5 लाख बत्तीयों पर पांच लाख, 3 हज़ार मोमबत्तीयों पर 30 हज़ार व 3 हज़ार माचिस पर 6 हज़ार रूपए खर्च किए गए। इसके मुताबिक दीपोत्सव कार्यक्रम में 70 लाख 36 हज़ार का ख़र्च आया। यही नही इसके अतिरिक्त ड्रोन शो और भजन संध्या का आयोजन भी इसी कार्यक्रम में किया गया था। जिसमे भी लाखों का ख़र्चा आया होगा। मामले का खुलासा तब हुआ ज़ब एक आरटीआई कार्यकर्ता ने सूचना में जानकारी मांगी। खरीदी गई सामग्री के रेट को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे है। इसको लेकर जांच की मांग भी उठ रही है।
वहीं जब मामला परवान चढ़ा तो ज़िला अधिकारी ने नगर निगम कार्यालय का निरीक्षण किया जिसमें 73 कर्मचारी नदारद मिले जिनका वेतन तो रोक कर जवाब तलब किया गया है मगर लाखों की मोटी रकम को ठिकाने लगाने वाले अधिकारी व कर्मचारी को लेकर जिला प्रशासन अभी भी चुप्पी साधे हुए है।