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भाभी से किया इश्क तो मिली मौत, मां के दफीने में शामिल होने आए युवक की निर्मम हत्या

राजनीतिक रूप से राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित शहर बागपत एक ऐसी वारदात का गवाह बना जिसने रिश्तों, प्रेम और नफरत की सभी सीमाएं तोड़ कर रख दीं। चचेरे भाई की पत्नी से प्रेम विवाह कर उसको भगा ले जाने वाले नफीस की कब्रिस्तान के बाहर ईंटों से कूंचकर हत्या कर दी गई।यह हत्या अचानक नहीं, बल्कि एक एलानिया कत्ल थी, जिसे करने की योजना छह साल पहले ही उस समय बन चुकी थी जब नफीस अपनी भाभी को भगा ले गया था। नफीस छह साल बाद पहली बार बागपत लौटा था, वो भी सिर्फ अपनी मां मकसूदी के अंतिम संस्कार में शामिल होने। उनकी कब्र पर मिट्टी डालने लेकिन वह खुद अपनी मौत के सफर पर निकल पड़ा।छह साल पहले नफीस को अपने चचेरे भाई शौकीन की पत्नी शब्बो से मोहब्बत हो गई थी। दोनों के घर आमने-सामने थे और यह रिश्ता धीरे-धीरे घरवालों की नजरों में आ गया। फिर एक दिन शब्बो अपने पति और चार बच्चों को छोड़ नफीस के साथ चली गई।

देवर भाभी के प्रेम के चलते घटी यह घटना उस समय परिवार के लिए शर्म और गुस्से का कारण बनी।ये अलग बात हे कि पुलिस ने दोनों को बरामद कर कोर्ट में पेश किया था लेकिन तब शब्बो ने बयान दिया कि मैं नफीस के साथ रहना चाहती हूं। तभी से परिवार ने नफीस को दुश्मन मान लिया था। उसे जान से मारने की धमकी दी गई और उसने मजबूर होकर बागपत छोड़ दिया।और शब्बो को साथ लेकर सहारनपुर रहने लगा।अब मां की मौत की खबर सुनकर दफ़ीने में शामिल होने को अपने भाइयों को फोन किया तो भाइयों ने नफीस को बागपत आने से मना किया लेकिन नफीस नहीं रुका और आखिरकार उसको बागपत पहुंचने की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।

हमले के दौरान नफीस की चीखों से कब्रिस्तान की दीवारों तक गूंज उठीं, लेकिन कोई कुछ समझ पाता उससे पहले सब खत्म हो गया। जिस मां के जनाजे पर आने की उसने कसम खाई थी उसी मां की कब्र से 20 मीटर दूर उसकी सांसें थम गईं। परिजन उसे खून से लथपथ हालत में सीएचसी लेकर पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मां और बेटे की लाश एक साथ देखकर परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।

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