हरिद्वार में इंकलाबी मजदूर केन्द्र का सातवां केन्द्रीय सम्मेलन शुरू

हरिद्वार/ 4 अक्टूबर को इंकलाबी मजदूर केन्द्र का सातवां केन्द्रीय सम्मेलन राजमहल बैंकेट हाल (ज्वालापुर) में जारी है। सम्मेलन की शुरूआत में निवर्तमान अध्यक्ष खीमानन्द ने झण्डारोहण किया। इसके बाद पिछले तीन सालो में देश-दुनिया में मजदूरों-मेहनतकशों को हक अधिकार पाने की लड़ाई में शहीद हुए अथवा भांति-भांति की मेहनत करते हुए उत्पादन, सेवा क्षेत्र में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी गयी। इसके बाद अध्यक्षीय भाषण के बाद सम्मेलन की विधिवत शुरूआत की गयी।

सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय परिस्थितियों पर विचार विमर्श के लिए राजनीतिक रिपोर्ट पेश की गयी। अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों पर बातचीत रखते हुए बताया गया कि दुनिया भर में 2007-08 में आये आर्थिक संकट कुछ उतार-चढ़ाव के साथ जारी है। इस संकट से उबरने के लिए पूंजीवादी साम्राज्यवादी शासक निजीकरण की जन विरोधी नीतियों को तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं वे मजदूरों-मेहनतकशों के जीवन को संकट में धकेल रही हैं।

निजीकरण-उदारीकरण-वैश्वीकरण की नीतियों को लागू कर मजदूरों-मेहनतकशों के अघिकारों में कटौती की जा रही है। साम्राज्यवादी देश कमजोर देशों पर अपना बोझ लाद रहे हैं तथा अलग-अलग देशों की पूंजीवादी शासक अपने देश के मजदूरों-मेहनतकशों पर अपना बोझ डालकर उन्हें गुलामी की तरफ धकेल रहे हैं। बेरोजगार, महंगाई, भ्रष्टाचार, अपराध जैसी समस्यायें लगातार बढ़ रही हैं। दुनिया भर में दक्षिणपंथी और धुरदक्षिणपंथी संगठनों का उभार तेजी से हो रहा है। पिछड़े देशों में साम्राज्यवादी अमेरिका धुर दक्षिणपंथी संगठनों या शासकों का इस्तेमाल अपने हितों के अनुरूप कर रहे हैं। पिछले दो वर्षों से इजरायली शासक अमेरिकी साम्राज्यवादियों की शह पर फिलिस्तीन में भयंकर बमबारी और जमीनी सैनिक कार्यवाही कर रहा है। गाजा पट्टी को मटियामेट कर दिया है। 65 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी नागरिकों (जिसमें महिलाओं और बच्चों की संख्या काफी अधिक है) की हत्यायें इजरायल कर चुका है। और शेष आबादी को भुखमरी की हालात में धकेल इजरायल फिलिस्तीनी आबादी को विस्थापित करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन फिलिस्तीनी जनता अपने देश को छोड़कर जाने को तैयार नहीं है। रूस-यूक्रेन युद्ध में भी अमेरिकी साम्राज्यवादियों की खतरनाक भूमिका है। सांठ-गांठ के साथ अंतरसाम्राज्यवादी टकराव बढ़ रहा है। इस दौरान उभरती हुई नई साम्राज्यवादी शक्ति चीन से अमेरिकी शासकों को चुनौती मिल रही है। वहीं दुनिया भर की मजदूर मेहनतकश आबादी और छात्र नौजवान अपने-अपन देश के मौजूदा हालात के खिलाफ सड़क पर उतरकर बगावत कर रहे हैं। आज लगभग 147 देशों में शासक वर्ग के खिलाफ बगावत जैसे हालात हैं। श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में वहां के छात्र-नौजवान और तमाम मेहनतकश जनता ने खुलेआम बगावत कर शासक वर्ग को देश छोड़ने के लिए बाध्य कर दिया है।
सम्मेलन के दूसरे सत्र में राष्ट्रीय परिस्थिति पर विचार विमर्श किया गया। विचार विमर्श के दौरान यह बात की गयी कि हिन्दू फासीवादी मोदी सरकार ने पिछले तीन वर्षों के दौरान 1991 से जारी निजीकरण-उदारीकरण-वैश्वीकरण की नीतियों को तेजी से लागू किया है जिसकी वजह से बेरोजगारी, महंगाई एवं भ्रष्टाचार का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा है। मोदी सरकार अडाणी-अम्बानी जैसी देशी-विदेशी कारपोरेट एकाधिकारी कम्पनियों को सब कुछ खुलेआम लुटा रही है। मजदूरों-मेहनतकशों के खून-पसीने से खड़े सरकारी उद्योगों, किसानों से जोर-जबरदस्ती से अधिग्रहित खेती की जमीनों सहित देश के तमाम कीमती प्राकृतिक संसाधनों को सौंपा जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ मजदूर विरोधी चार लेबर कोड बनाकर देश के मजदूरों को गुलामी की ओर धकेला जा रहा है। मजदूरों मेहनतकशों को बांटने के लिए देश के मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाकर नम्बर एक दुश्मन बनाना चाहती है। आए दिन निर्दोष मुसलमानों की गौ हत्या, लव जिहाद के नाम पर मॉब लिंचिंग की जा रही है। हिन्दू फासीवादी मोदी सरकार ईडी, सीबीआई, चुनाव आयोग आदि संस्थाओं का उपयोग कर अपने विरोधियों को जेल में डाल रही है, उनके जनवादी अधिकारों को छीन रही है। गत तीन वर्षों में देश के कोने-कोने से मजदूरों-किसानों, छात्रों-नौजवानों, शिक्षकों-डॉक्टरों ने सरकार के खिलाफ आवाज उठायी है। छात्रों-नौजवानों के बेरोजगारी और पेपर लीक को लेकर देश में बड़े-बड़े प्रदर्शन हुए हैं। लद्दाख से लेकर उत्तराखण्ड तक नौजवानों के आंदोलन ने सरकार को परेशानी में डाला है।
अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय परिस्थिति पर हुई चर्चा से यह बात स्पष्ट हुई कि आज पूरी दुनिया में फासीवादी सत्तायें या तो केन्द्र में मौजूद हैं या उनका प्रभाव बढ़ रहा है और वे पूंजीपति वर्ग के मुनाफे के लिए काम कर रही हैं। जनता को बांटने के लिए आतंकवाद, अप्रवासी, गोरे-काले के भेद का इस्तेमाल कर रही हैं। भारत में भी केन्द्र में आसीन हिन्दू फासीवादी मोदी सरकार भारत के एकाधिकारी घरानों के लिए काम कर रही है और जनता को हिन्दू-मुसलमान में बांट कर अपने घृणित एजेण्डों को आगे बढ़ा रही है। पूरी देश-दुनिया में मजदूर वर्ग पर हमले तेज हो रहे हैं। इंकलाबी मजदूर केन्द्र का सातवां सम्मेलन देशी-विदेशी पूंजीपति वर्ग के खिलाफ और उनकी फासीवादी सरकारों के खिलाफ लड़ने का संकल्प लेता है और देश की मजदूर-मेहनतकश आबादी को संगठित कर पूंजीपति वर्ग के खिलाफ लड़ाई को तेज करेगा।



