क़ृषि मंडी मे खेल: वन टेंडर प्रक्रिया पर उठ रहे सवाल? निरस्त किए जाने की उठी मांग!
टेंडर में खेल कर चहेते ठेकेदार क़ो लाभ पहुंचाने की जद्दोजहद मे जुटा विभाग, पूर्व मे तैनात मंडी निरीक्षक की भूमिका भी चर्चाओ मे...
हरिद्वार। कृषि उत्पादन मंडी समिति व उसके भ्रष्टाचार में सम्मिलित अधिकारी अपनी किसी ना किसी अवैध कारगुज़ारी क़ो लेकर चर्चाओ से घिरे रहते है। अब मामला मंडी मे हुए टेंडर से एक चहेते ठेकेदार क़ो लाभ पहुंचाने क़ो लेकर सुर्खियों मे बना हुआ है। आश्चर्य जनक बात यह है कि टेंडर खोलने के लिए जिस तरह की शर्तें रखी गई है वह विभाग की भूमिका पर सवाल खडे करता है। वही, टेंडर जल्दी खोले जाने व ऐसी शर्ते रखने क़ो लेकर भ्रष्टाचार के आरोपो के चलते ट्रांसफर हुए पूर्व मे तैनात एक मंडी निरीक्षक का नाम भी चर्चाओ मे है। यही नहीं वन टेंडर के बावजूद स्वीकृति के लिए चलाई जा रही पत्रावली भी कृषि उत्पादन मंडी समिति के अधिकारियों की मंशा पर सवाल खड़े कर रही है।
गौरतलब है कि क़ृषि उत्पादन मंडी समिति ज्वालापुर द्वारा 22 फरवरी को सफाई कार्य तथा कैंटीन के टेंडर आमंत्रित किए हुए थे।जिसमें सफाई के ठेके के लिए निविदा प्रकाशन में सिर्फ अनुभव प्रमाण पत्र का उल्लेख किया गया था। पूर्व मे सफाई का कार्य कर रहे ठेकेदार क़ो लाभ पहुंचाने के लिए खरीदे गए टेंडर में संलग्न की गई शर्तों के अनुसार टेंडर लेने वाले उसी व्यक्ति को वरीयता देने की बात की गई। जिसके पास मंडी समिति में सफाई कार्य करने के लिए पांच वर्ष का अनुभव हो। जोड़ी गई इस नई शर्त के चलते नए लोग टेंडर प्रक्रिया में भाग नहीं ले पाएंगे तथा पूर्व से सफाई का ठेका चला रहा व्यक्ति ही एक बार फिर महंगे रेट पर ठेका लेने में सफल हो जाएगा। जिसके चलते मंडी परिषद को एक वित्तीय वर्ष में 10 से 15 लाख रुपए की हानि होना तय है। इस तरह की शर्ते रखना मंडी परिषद व अधिकारियो की भूमिका पर सवाल खडे करता है। वही, चर्चाए तो यह भी व्याप्त है कि पूर्व मे कृषि मंडी मे तैनात भ्रष्टाचार के आरोपो के चलते स्तांतरित हुए व विजिलेंस जांच में अटके एक मंडी निरीक्षक के चहेते ठेकेदार क़ो लाभ पहुंचाने के लिए जल्दीबाजी व ऐसी शर्ते रख अवैध रूप से टेंडर प्रकिरिया का ये खेल शुरू किया गया है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार चहेते ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए दृष्ट राष्ट्र की भूमिका में नजर आ रही मंडी समिति की सचिव कागज पूरे ना होने के बावजूद पूर्व से सफाई का कार्य कर रहे ठेकेदार को ही एक बार फिर टेंडर जारी करने की जिद पर अड़ी हुई है। मंडी अधिकारियों की यह जिद जहां एक और सरकार को लाखों रुपए के राजस्व की हानि पहुंचाएगी तो वहीं दूसरी ओर “भ्रष्टाचार पर प्रहार” करती धामी सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े कर रही है।
मामला संज्ञान मे आया है मेरे द्वारा टेंडर की फ़ाइल मंगवाई गई है, जहाँ तक कागज पुरे न होने के बावज़ूद टेंडर देने की बात है मे उसकी जाँच कराती हूँ। — कुशुम चौहान, नगर मजिस्ट्रेट/प्रशासक कृषि उत्पादन मंडी हरिद्वार।
नोट: कृषि उत्पादन मंडी समिति ज्वालापुर की सचिव से ज़ब फोन पर बात करना चाही तो उनका फ़ोन रिसीव नहीं हुआ।