अर्द्धकुंभ को कुंभ की तर्ज पर आयोजित करने से होगा सनातन का पुनर्जागरण — महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद

हरिद्वार, 1 दिसम्बर। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के महामंडलेश्वर एवं अखंड दयाधाम के परमाध्यक्ष स्वामी भास्करानंद महाराज ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा वर्ष 2027 में होने वाले अर्द्धकुंभ को कुंभ मेले की तर्ज पर आयोजित करने की घोषणा का स्वागत किया। उन्होंने इसे सनातन परंपराओं के पुनर्जागरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया।
स्वामी भास्करानंद महाराज ने कहा कि भारतीय सनातन संस्कृति में प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक — इन चारों प्रमुख तीर्थस्थलों पर प्राचीन काल से कुंभ मेलों का आयोजन होता आया है। प्रयागराज और हरिद्वार में अर्द्धकुंभ की परंपरा भी समान रूप से प्रतिष्ठित रही है।
भूपतवाला स्थित अखंड दयाधाम में आयोजित संत समागम को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि मध्यकालीन विदेशी आक्रमणों और विपरीत परिस्थितियों के कारण हरिद्वार अर्द्धकुंभ का वैभव धीरे-धीरे क्षीण होता गया। अखाड़ों द्वारा होने वाला पारंपरिक अमृत (शाही) स्नान भी लंबे समय तक केवल प्रतीकात्मक रूप में आयोजित होता रहा, जिससे अर्द्धकुंभ का प्राचीन गौरव लगभग लुप्त हो गया।
उन्होंने कहा कि अर्द्धकुंभ को कुंभ की तर्ज पर आयोजित करने का निर्णय हरिद्वार की परंपराओं को पुनः उनके पूर्ण, मौलिक और सनातन स्वरूप में स्थापित करेगा। विशेष रूप से अखाड़ों के अमृत स्नान का पुनर्स्थापन संत समाज और सभी धर्मनिष्ठ जनों के लिए अत्यंत हर्ष का विषय है।
स्वामी भास्करानंद ने कहा कि वर्तमान भाजपा सरकार द्वारा अर्द्धकुंभ-2027 को संपूर्ण परंपरागत स्वरूप में आयोजित करने का संकल्प हरिद्वार की आध्यात्मिक गरिमा को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर और अधिक प्रतिष्ठित करेगा। यह निर्णय न केवल पावन परंपराओं के पुनरोद्धार का मार्ग प्रशस्त करेगा, बल्कि सनातन संस्कृति को नई ऊर्जा भी प्रदान करेगा।
कार्यक्रम में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी, स्वामी ललितानंद गिरी, स्वामी अनंतानंद, स्वामी चिदविलासानंद, स्वामी प्रेमानंद, स्वामी कमलेशानंद, महंत सूरजदास, स्वामी पारसमुनि, स्वामी नागेंद्र महाराज सहित अनेक संत-महंत उपस्थित रहे।
साध्वी कृष्णानंद ने पुष्पमालाएँ अर्पित कर सभी संत महापुरुषों का स्वागत किया।




