छत्रपति शिवाजी महाराज कथा के चौथे दिन का शुभारम्भ
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हरिद्वार। छत्रपति शिवाजी महाराज कथा के चौथे दिन का शुभारम्भ स्वामी रामदेव जी महाराज ने व्यासपीठ को प्रणाम कर किया। पूज्य स्वामी गोविन्द देव गिरि जी महाराज ने कथा में कहा कि युद्ध तो युद्ध होता है, यह क्षत्रिय धर्म है। देश, देश की सीमाओं व संस्कृति की रक्षा करने के लिए बलिदान करने की जब बारी आती है तो जो पीछे नहीं हटता है, उन्हीं का तो गौरव है। हमारे वीरों ने कितना-कितना बलिदान किया है।
इस अवसर पर स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि भारत की सभी माताएँ माता जीजाबाई से प्रेरणा लेकर शिवाजी महाराज जैसे सुतों देंगी, ये वीर प्रसुता भूमि है, ऋषि भूमि है, वीर भूमि है, इसका शौर्य ऐसे ही जागता रहेगा। जीवन में एक बार भी अपनी सात्विकता से, देवत्व से, अपने राजधर्म, राष्ट्रधर्म से, अपने सनातन धर्म से नीचे नहीं आना। लाख बाधाओं, संघर्षों, चुनौतियों के बीच में शिवाजी महाराज की तरह एक योद्धा और विजेता की भाँति आगे बढ़ना। उन्होंने कहा कि आज विश्व की साम्राज्यवादी, पूंजीवादी, बाजारवादी ताकतें पूरी दुनिया पर अपना एकाधिकार करके अपने खूनी पंजों से, क्रूर पाशों से नोचाना चाहती हैं, पूरी दुनिया पर अपना आधिपत्य स्थापित करना चाहती हैं। जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का, योगेश्वर श्री कृष्ण का, आचार्य चाणक्य, चंद्रगुप्त और शिवाजी महाराज के जीवन का दर्शन करते हैं, सबके संदर्भ में एक बात समान रूप से लागु होती है कि सिद्धि की प्राप्ति सत्व से होती है। वह सत्व है उत्साह, शौर्य, वीरता, पराक्रम, सात्विकता, आत्मधर्म, सनातनधर्म, राष्ट्रधर्म, ऋषिधर्म व वेदधर्म। और इन सबके सबसे बड़े उद्घोषक, प्रणेता, योद्धा, पुरोधा छत्रपति शिवाजी महाराज हैं।पिछले कुछ दिनों से साम्राज्यवादी, पूंजीवादी, बाजारवादी ताकतें जिन्हें मैं कॉर्पोरेट माफिया, मेडिकल माफिया या फार्मा माफिया जो योग, आयुर्वेद और वेदों के ज्ञान को को सुडो साइंस कहते हैं और कहते हैं कि ये तो अज्ञान से भरे हैं, कितनी मूर्खतापूर्ण व धूर्ततापूर्ण बातें करते हैं, कहते हैं कि राम भी नहीं थे, कृष्ण भी नहीं थे, शिव भी नहीं थे, हनुमान भी नहीं थे। पता नहीं वेदों पर क्या-क्या लांछन लगाते हैं। हमारी संस्कृति व सनातन मूल्यों पर घात-प्रतिघात करते हैं।
कार्यक्रम में भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अधिकारी श्री एन.पी. सिंह, पतंजलि विश्वविद्यालय की मानवीकी संकायाध्यक्षा डॉ. साध्वी देवप्रिया, पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल, भारत स्वाभिमान के मुख्य केन्द्रीय प्रभारी भाई राकेश ‘भारत’ व स्वामी परमार्थदेव, पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलानुशासक स्वामी आर्षदेव सहित सभी शिक्षण संस्थान यथा- पतंजलि गुरुकुलम्, आचार्यकुलम्, पतंजलि विश्वविद्यालय एवं पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्यगण व विद्यार्थीगण, पतंजलि संन्यासाश्रम के संन्यासी भाई व साध्वी बहनें तथा पतंजलि योगपीठ से सम्बद्ध समस्त इकाइयों के इकाई प्रमुख, अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।