पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात सुंदर भाटी को गैंगस्टर कोर्ट ने ठहराया दोषी,मिली नौ साल की सजा
क्राइम,दस्तक/पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात गैंगस्टर सुन्दर भाटी का नाम एक बार फिर चर्चा में है।सोमवार को उत्तर प्रदेश के नोएडा की कासना कोतवाली में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के एक अहम मामले में जनपद न्यायालय ने कुख्यात गैंगस्टर सुंदर भाटी सहित 10 आरोपियों को 9-9 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने सभी दोषियों पर 20-20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना न भरने पर दो-दो माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
सजा पाए दोषियों में सुंदर भाटी, सिंहराज, विकास पंडित, योगेश, ऋषिपाल, बॉबी उर्फ शेरसिंह, सोनू, यतेन्द्र चौधरी, अनूप भाटी और दिनेश भाटी शामिल हैं। हालांकि सिंहराज और ऋषिपाल को छोड़कर बाकी आठ दोषी अपनी घोषित सजा से अधिक अवधि जेल में बिताने के कारण रिहा कर दिए गए, जबकि सिंहराज और ऋषिपाल को शेष सजा पूरी करने के जेल भेजा गया है।
मामला 8 फरवरी 2015 का है। नियाना गांव में एक शादी समारोह से लौटते समय दादूपुर के ग्राम प्रधान और सपा नेता हरेंद्र नागर तथा उनके सरकारी गनर भूदेव शर्मा पर जानलेवा हमला हुआ था। हमले में दोनों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि बदमाशों में से एक जतिन खत्री भी ढेर हो गया था। आरोप लगा था कि हरेंद्र नागर और सुंदर भाटी के बीच सरिया चोरी, फैक्टरी स्क्रैप और पानी सप्लाई को लेकर पुरानी रंजिश थी। वर्चस्व की इस लड़ाई के चलते ही हत्या की सुपारी दी गई थी। इसी प्रकरण में सुंदर भाटी समेत 13 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया था। अप्रैल 2021 में इसी हत्याकांड में अदालत ने सुंदर भाटी सहित 12 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट में अपील लंबित है। अक्तूबर 2024 में उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिली थी, जिसके बाद वह दिल्ली में रहने लगा।
पुलिस की ओर से आरोपपत्र दाखिल होने के बाद दोनों पक्षों की बहस चली। अभियोजन पक्ष ने कहा कि आरोपी संगठित गिरोह बनाकर आर्थिक और भौतिक लाभ के लिए दिनदहाड़े हत्याएं करते रहे हैं, इसलिए अधिकतम सजा जरूरी है। बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि अधिकांश आरोपी पहले ही अधिकतम सजा काट चुके हैं, इसलिए उन्हें रिहा किया जाए। अदालत ने सभी पहलुओं पर विचार करते हुए यह फैसला सुनाया।
तीन दशक का खौफनाक आपराधिक साम्राज्य है सुंदर भाटी का:
दिल्ली-एनसीआर और पश्चिमी यूपी के अपराध जगत में सुंदर भाटी का नाम 30 वर्षों से खौफ की तरह लिया जाता रहा है।
कभी बुलंदशहर का एक ट्रांसपोर्ट ठेकेदार रहा भाटी राजनीति में बढ़ते संपर्कों के बाद सुपारी किलिंग, रंगदारी और वर्चस्व वाली दुनिया में उतर गया। 2015 में गौतमबुद्धनगर जेल के अंदर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों के साथ पुरस्कार वितरण का उसका वायरल फोटो राजनीति और अपराध जगत में उसकी गहरी पहुंच का प्रमाण माना गया था। उसकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के कारण उसका कद तेजी से बढ़ा। आरोप लगा कि सत्ता की राह में आए साथी नरेश भाटी (जिला पंचायत चेयरमैन) की भी उसने हत्या कराई थी। सुंदर भाटी गैंग का मुख्य नेटवर्क रंगदारी वसूली, सुपारी किलिंग, फैक्टरी स्क्रैप और सरिया चोरी, ठेकेदारी पर कब्जा. जमीन व कारोबारी विवादों में दबंगई है?
पूर्वांचल की कई चर्चित हत्याओं में भी इस गिरोह का नाम सामने आया।
प्रयागराज में पुलिस अभिरक्षा में अतीक अहमद और अशरफ की हत्या में भी भाटी का नाम उछला था। चर्चा थी कि हथियार उसकी ओर से पहुंचाए गए, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी। वह यूपी पुलिस द्वारा तैयार की गई 65 माफियाओं की सूची में सुंदर भाटी का नाम शामिल है।
इसमें सिंहराज भाटी, अमित कसाना, अनिल भाटी, रणदीप भाटी, मनोज आसे भी शामिल हैं। गाजियाबाद के कुख्यात अनिल दुजाना को एसटीएफ 2023 में मुठभेड़ में मार चुकी है। वर्तमान में गौतमबुद्धनगर से छह सक्रिय माफिया सूची में हैं।
जेल से रिहाई के बाद वर्चस्व की जंग तेज होने की जगी थी आशंका:
हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद पिछले दिनों गुपचुप रूप से सुंदर भाटी के जेल से बाहर आने के बाद वेस्ट यूपी में वर्चस्व और बदले की लड़ाई की आहट तेज हो गई थी। नोएडा में स्क्रैप और सरिया के कारोबार पर कब्जे की जंग हमेशा सुर्खियों में रहती है। 2023 में प्रतिद्वंदी माफिया अनिल दुजाना के मारे जाने के बाद आरोप लगा था कि सुंदर भाटी का इलाके में प्रभाव बढ़ गया है। इसी दौरान सपा नेता हरेंद्र नागर के भाई रवि काना पर नोएडा पुलिस का शिकंजा कसा और उसे जेल जाना पड़ा। उसकी संपत्तियों को भी गैंगस्टर में जब्त किया गया था। पुलिस लगातार सुंदर भाटी गैंग की गतिविधियों पर निगरानी रख रही थी, इसके बावजूद उसे कई बार जिले में शादी समारोहों में देखा गया। लेकिन आरोपी की अबतक कोई आपराधिक गतिविधि में शामिल होने की भूमिका नहीं मिली थी।



