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उत्तराखंड में IPS अधिकारियों के तबादलों की सुगबुगाहट तेज़, चुनावी तैयारियों का असर

देहरादून। प्रदेश में पुलिस महकमे के भीतर बड़े पैमाने पर फेरबदल की चर्चा तेज़ हो गई है। राज्य सरकार आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों को ध्यान में रखते हुए उच्च स्तर से लेकर जिलों तक IPS अधिकारियों के तबादले की रूपरेखा पर विचार कर रही है। पुलिस विभाग में इस तरह के संभावित फेरबदल ने न केवल अधिकारियों बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ा दी है। माना जा रहा है कि इस बार जो भी अधिकारी नए पदों पर तैनात किए जाएंगे, उन्हें चुनावी प्रक्रिया पूरी होने तक उसी पद पर कार्यरत रहने का मौका मिलेगा।
सूत्रों के अनुसार, मुख्यालय स्तर पर कई महत्वपूर्ण पदों पर तैनात ADG और IG स्तर के अधिकारियों का स्थानांतरण तय माना जा रहा है। वर्तमान समय में विभाग के भीतर कई अहम पद रिक्त पड़े हैं, जिनमें IG विजिलेंस, IG कारागार और IG कुम्भ जैसे पद शामिल हैं। इन पर जल्द स्थायी नियुक्तियों की संभावना जताई जा रही है। यह भी कहा जा रहा है कि कुछ अधिकारियों को अतिरिक्त दायित्व दिया गया है, लेकिन अब इन पदों पर नियमित रूप से नए अफसरों की तैनाती की जाएगी।

पदोन्नति की तैयारी और नई जिम्मेदारियाँ

IPS अधिकारी निवेदिता कुकरेती, जो वर्तमान में DIG अग्निशमन एवं अपर सचिव गृह के रूप में कार्यरत हैं, उन्हें 1 जनवरी 2026 से IG रैंक पर पदोन्नति मिलनी लगभग तय है। इस लिहाज से उन्हें नई और अहम जिम्मेदारी सौंपने की संभावना भी प्रबल है। ऐसे ही कई और अधिकारी हैं, जिनकी वरिष्ठता और अनुभव को देखते हुए चुनाव से पहले नई पोस्टिंग दिए जाने पर विचार किया जा रहा है।

बदले जा सकते हैं कई जिलों के कप्तान

जिलों में कप्तानों (SSP/SP) का स्थानांतरण पर भी सरकार मंथन कर रही है। चुनावी दृष्टि से जिलों का महत्व बहुत अधिक होता है, इसलिए इस बार ऐसे अधिकारियों को प्राथमिकता दी जाएगी, जिन पर सरकार और चुनाव आयोग दोनों का भरोसा हो सके। सूत्र बताते हैं कि खासकर उन जिलों में जहां चुनावी माहौल अधिक संवेदनशील है, वहां अनुभवी और सख्त छवि वाले पुलिस अधीक्षक नियुक्त किए जाएंगे।

चुनावी रणनीति में पुलिस की भूमिका

यह कहना गलत नहीं होगा कि विधानसभा चुनावों से पहले पुलिस महकमे में होने वाला यह बड़ा फेरबदल एक तरह से चुनावी रणनीति का हिस्सा है। सरकार चाहती है कि हर जिले में ऐसे अफसर तैनात हों जो निष्पक्ष और कड़े अनुशासन के साथ काम कर सकें। विपक्षी दल भी इस मुद्दे पर नज़र बनाए हुए हैं और यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि ट्रांसफर-पोस्टिंग केवल राजनीतिक नज़रिये से न की जाए। हालांकि, यह भी सच है कि चुनावों से पहले हर राज्य में इस तरह की गतिविधियाँ तेज़ हो जाती हैं और पुलिस प्रशासन को पूरी तरह चुनावी मोड में लाया जाता है। वहीं IPS अधिकारियों के बीच भी इस संभावित ट्रांसफर को लेकर उत्सुकता और हलचल का माहौल है। हर कोई यह जानना चाहता है कि चुनाव तक किस जिले या पद की जिम्मेदारी उसे मिलेगी। साथ ही, जिन अधिकारियों को लंबे समय से एक ही जिले या पद पर कार्यरत देखा जा रहा है, उन्हें अब बदलने की संभावना अधिक है। इससे पुलिस महकमे के भीतर नई ऊर्जा और प्रतिस्पर्धा दोनों देखने को मिल सकती हैं।

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