नगर निगम के कूड़ा वाहनों को कंपनी लगा रही ठिकाने, टायर-पार्ट हो रहे गायब!
एमएनए नन्दन कुमार ने कही निरीक्षण की बात, कार्रवाई को लेकर उठ रहे सवाल...

हरिद्वार। नगर निगम कूड़ा उठान के लिए नई गाड़ियों को खरीदने की तैयारी में जुटा है, जिसके लिए आने वाले वित्तीय वर्ष में भारी भरकम बजट नगर निगम बोर्ड द्वारा स्वीकृत भी किया जा चुका है। वहीं दूसरी ओर शहर के कूड़ा कलेक्शन के लिए कुम्भ मेला 2021 में खरीदी गई नगर निगम के सीएनजी वाहन टाउन हॉल में खडे-खड़े धूल फांक रहे है।
यहीं नहीं सुरक्षा के अभाव के चलते वाहनों के पुर्जों को भी नगर निगम से अनुबंधित एक कंपनी के कर्मचारियों द्वारा धीरे-धीरे ठिकाने लगाए जाने का खुला खेल खेला जा रहा है। वाहनों के कुछ पुर्जो को बेच दिया गया है। तो कुछ को कंपनी के अन्य वाहनों में फिट क़र दिया गया है। जिसके चलते नगर निगम के लिए उपयोगी रहे ऐसे सीएनजी वाहन कबाड़ में तब्दील हो गए हैं। नगर निगम की नाक के निचे चल रहे इस खेल से निगम के अधिकारी भी अंजान बने हुए है। मामले में शिकायत के बाद एमएनए नन्दन कुमार ने टाउन हॉल व वर्कशॉप का निरीक्षण क़रने की बात कही है। जिसके बाद अब अंदाजा लगाया जा रहा है कि निरीक्षण के बाद इस खेल में शामिल अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है।
गौरतलब है कि शहर की सफाई व्यवस्था पिछले काफ़ी समय से बदहाल पड़ी है। इसको सुधारने के लिए नगर आयुक्त नन्दन कुमार ने चार्ज संभालने के पहले दिन से ही कमर कसी हुई है। वह लगातार व्यवस्था बनाने के ऊपर जोर दे रहे है। जिसका एक हद तक परिणाम भी सामने निकल क़र आया है। शहर की सफाई व्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है।
व्यवस्था को और बेहतर करने के लिए निगम नए कूड़ा वाहनों को खरीदने की तैयारी में है। लेकिन कुंभ के दौरान खरीदें गए कूड़ा वाहनों को सुरक्षा के आभाव के चलते ठिकाने लगाया जा रहा है। टाउन हॉल में खडे वाहनों के पुर्जों को नगर निगम से अनुबंधित एक कंपनी के कर्मचारी धीरे-धीरे बेचने में लगे है। कई पुर्जो को ठिकाने भी लगा दिया गया है। इस खेल के चलते निगम को राजस्व की चपत तो लगाई जा ही रही है, साथ ही धर्मनगरी में यात्रा सीजन के दौरान भरने वाले दर्जनों मेलों के दौरान उपयोगी रहे ऐसे वाहन कबाड़ में तब्दील हो चुके हैं।

वहीं एमएनए नन्दन कुमार ने मामले की शिकायत के बाद वर्कशॉप सहित टाउन हॉल के परिसर का निरीक्षण करने की बात कही है जहां ऐसे वाहन अब कंडम पड़े हुए हैं। सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर निगम के इन कीमती वाहनों की इस दुर्दशा के लिए कौन अधिकारी कर्मचारी जिम्मेदार है। नगर आयुक्त के इस कदम से अब उम्मीद लगाई जा रही है कि निगम को राजस्व की चपत लगाने व इस खेल में शामिल कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है।