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कलियर में खादिमो की फौज, दरगाह के नजराने पर कर रही है मौज
SDM के निर्देश के बाद भी नहीं थम रहा अवैध उगाई का धंधा, पूर्व मे कई फर्जी खादिम जा चुके हैं जेल

संवाद सूत्र कलियर:-
कलियर में बढ़ती जा रही खादिमो की संख्या जायरीनो से मिलने वाले नजराने पर मौज कर रही है। जहां, पहले इनकी संख्या एक दो हुआ करती थी अब यह सौ के पार चली गयी है। वही, दिन प्रतिदिन इनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है।
गौरतलब है कि दरगाह में जायरीन दान देते है। इसी दान से दरगाह की मुख्य व्यवस्थायें चलती है। जयरीनो व दरगाह के बीच अब एक कड़ी बन गई है यह है खादिम। इनके अंदर खड़े होकर जायरीनो से पैसा लेने पर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट अभिनव शाह ने रोक लगादी है। इतना ही नही दरगाह से भी सिर्फ एक कर्मचारी को रोजे मुबारक पर ड्यूटी के निर्देश है।जिस से कोई जायरीनो से खादिम बनकर लूट खसोट न कर सके । इस से पहले यंहा फर्जी खादिमो का जमावड़ा रहता था इस पर जे.एम. ने 12 व्यक्तियों को पकड़ कर जेल भी भेजा था। देखा देखी दरगाह में सैकड़ो खादिम बढ़ गए और जायरीनो को चादर पोशी व जियारत कराने की आड़ में मोटा नजराना वसूलने लगे, जहाँ मेहनत मजदूरी कर पांच सौ रुपये भी नही मिलते वहाँ खादिम गिरी से हजारों हाथ लगने लगे। इस से इनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती गई घर मकान होटल, प्लाट तक इनके पास आ गये। यह सब जायरीनो से प्राप्त हुआ। नगर पंचायत मे हर स्थान पर यह रहते है। सवाल यह है खादिम सिर्फ सेवादार होता है यह तो मालदार बन गए।
जानकारों को कहना है कि इस काम मे लगने से पहले चाहे बहारी या स्थानीय खादिम हो तब इनकी आर्थिक स्थिति परिवार के भरण-पोषण के भी नही होती थी आज यह कोठी बंगले तक के मालिक है। दरगाह की पाबंदी के चलते अब यह अंदर के बजाए दरगाह से बाहर ही नजराना वसूल रहे है। अब ओनलाइन का जमाना आया है तब से नजराना इनके बैक खातों में भी दरगाह की हाजरी के लिए आ रहा है।
क्या है नजराना…
नजराना एक गिफ्ट/तोफा होता है जिसे जायरीन दरगाह की जियारी कराने वाले को अपनी खुशी से देते थे, लेकिन अब रूप बदल कर चादर पोशी की आड़ में इसे वसूला जा रहा है।
कोन होता है खादिम…
दरगाह की सेवा व उत्थान के लिए काम करने वाले को खादिम या सेवादार कहते है, जायरीनो से नजराना उसूलन वालो को न दरगाह की खिदमत ना सेवा से कोई लेना देना। यह लोग बस अपनी सेवा कर रहे है।